मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज डिंडोरी जिले के  बालपुर में वीरांगना रानी अवंती बाई  लोधी के बलिदान दिवस कार्यक्रम में हुऐ शामिल - i witness news live
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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज डिंडोरी जिले के  बालपुर में वीरांगना रानी अवंती बाई  लोधी के बलिदान दिवस कार्यक्रम में हुऐ शामिल


 वीरांगना अवंती बाई का हौसला हिमालय से भी बडा है - मुख्यमंत्री डॉ. यादव

आई विटनेस न्यूज 24, गुरुवार 20 मार्च,मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज डिंडोरी जिले के बालपुर में वीरांगना रानी अवंती बाई  लोधी के बलिदान दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज रानी अवन्तिबाई के पराक्रम को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि अवन्ति का अर्थ है जिसका अंत नहीं हो सकता है। इस धरती पर कई ऐसे श्रेष्ठ महापुरुष हुए है। व्यक्ति की उम्र भले ही छोटी होती है, लेकिन उनके कार्य उन्हें महान व अमर बना देते हैं। वीरांगना रानी अवंती बाई  26 वर्ष की छोटी आयु में ही आत्म स्वाभिमान के लिए जो कार्य किया वह  हिमालय से भी बड़ा है।

यह वीरों की धरती है- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

 मुख्यमत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह वीरांगनाओं और वीरों की धरती है, जहाँ रानी दुर्गावती, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना अवंतीबाई, देवी अहिल्याबाई, राजा रघुनाथशाह एवं कुंवर शंकरशाह जैसे महापुरूष जन्म लिए। रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंती बाई और राजा रघुनाथ शाह एवं कुंवर शंकरशाह ने अपने सीमित संसाधनों से अंग्रेजी शासन के खिलाफ मोर्चा खोला और अपने देश व स्वाभिमान की लडाई लडी। वे अपने हौसले को बनाकर चट्टान की तरह मजबूत कर अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किए। उस समय कठिन परिस्थतियों वे सिर्फ आत्मसम्मान, राष्ट्रभक्ति को लेकर समाज को एक नई दिशा दिए। रानी अवंती बाई का चरित्र से हमें सीख मिलती है कि डलहौजी की हडपनीति के विरोध में उन्होंने अपनी शासन की रक्षा की, उनके इस योगदान के कारण लोधी समाज सहित सम्पूर्ण समाज रानी अवंती बाई को पूजता है। स्थानीय आदिवासी समाज के लोगों ने रानी अवंती बाई के बलिदान स्थल को सुरक्षित रखते हुए स्थल की पवित्रता का ध्यान रखा। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वीरांगना रानी को अर्पित किए श्रृद्धासुमन 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुख्य समारोह को संबोधित करने के पहले बलिदान स्थल पर पहुंचकर वीरांगना रानी अवंती बाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके शौर्य गाथाओं को याद करते हुए उन्हें नमन किया।

महापुरूषों की गौरव गाथाओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा

 मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के माध्यम से पूरे देश में अनगिनत महापुरूषों को पहचान कर उन्हें समाज के सामने लेकर आए हैं, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया है। ऐसे महापुरूषों की गौरव गाथाओं को समाज की अगली पीढी तक पहुंचाया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी भी महापुरूषों की शौर्य गाथाओं से परिचित हो सके। भगवान बिरसा मुंडा सहित अन्य वीर इस बात के प्रतीक हैं। देश के चारों दिशाओं में आदिवासी समाज के लिए बिरसा मुंडा भगवान हैं। उनके जन्मदिन पर जनजाति गौरव दिवस मनाया जाता है।  वीरांगना रानी दुर्गावती की योगदान याद करने के लिए जबलपुर में मध्यप्रदेश शासन की पहली केबिनेट आयोजित की। जनजातीय गौरव को ध्यान में रखते हुए खरगोन विश्वविद्यालय का नाम टंटया मामा के नाम पर किया गया।रानी अवंती बाई की शौर्य गाथाओं को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए उनके नाम से सागर विश्वविद्यालय का नाम पर रखा। 

किसान गरीब, युवा और महिलाओं के हित में कई बडे़ फैसले लिए हैं

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन ने किसान, गरीब, युवा और महिलाओं के हित में कई बडे़ फैसले लिए हैं। श्रीअन्न के लिए एक हजार रूपए प्रति क्विंटल, धान के लिए 4 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर, गेंहू के लिए 2600 प्रति क्विंटल राशि हस्तांतरित करने वाले हैं। 10 से ज्यादा गौ-पालन करने के लिए अनुदान दिया जाएगा। जिससे गौ- पालन और दुग्ध उत्पादन को बढावा मिलेगा। मध्यप्रदेश सरकार गाय का दुग्ध भी खरीदेगी, साथ ही 5 रूपए प्रति लीटर गाय का दुग्ध पर बोनस दिया जाएगा। फसल के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन को भी बढावा देंगे। आदिकाल और भगवान श्रीकृष्ण के काल से ही दूध का बडा महत्व रहा है। प्रदेश में औद्योगिकीकरण के लिए लगातार प्रयास जारी है। डिंडौरी में दुग्ध आधारित उद्योगों के साथ ही लघु उद्योग, मध्यम उद्योग, कुटीर उद्योग सहित सभी प्रकार के उद्योग लगाएंगे। रानी अहिल्या बाई की 300वीं जयंती वर्ष को मना रहे हैं, रानी अवंती बाई और रानी अहिल्या बाई के आदर्शों के सभी पक्षों को लेकर समाज में जा रहे हैं, जिसके आधार पर गरीब, युवा, किसान और नारी के कल्याण कार्यों को कर रहे हैं।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने रानी अवंती बाई की शहादत की इस पुण्य भूमि में सभी का अभिनन्दन करते हुए कहा कि रानी अवंतिबाई जैसा पराक्रम इतिहास में कम मिलता है। प्रारम्भ में रानी अवंतिबाई के बलिदान स्थल पर एक चबूतरा था,जिसे स्थानीय आदिवासी समाज ने संरक्षित कर स्वच्छ और साफ रखा। इतिहास लिखते हुए अंग्रेज ने अपनी आत्मकथा में रानी अवंतीबाई के शौर्य और पराक्रम के बारे में लिखा। शंकरशाह और रघुनाथ शाह द्वारा लिखी जाने वाली कविताओं को आत्मकथा में उल्लेखित किया। अंगेजों के शासनकाल में रानी अवंतीबाई ने जनमानस के लिए कर वसूली के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई, रानी ने 26 वर्ष की उम्र में अपने पराक्रम का परिचय देते हुए, आज से 150 से अधिक वर्ष पहले बताया कि न्याय और परोपकार की भावना के साथ हम हर कार्य कर सकते है। 

 संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री  धर्मेंद्र लोधी ने अपने सम्बोधन में कहा कि रानी अवन्तिबाई का पराक्रम असाधारण एवं अद्भुत है। अंग्रेजों की नीति के कारण राजा विक्रमादित्य सिंह को राजगद्दी से हटाया गया, रानी अवन्तिबाई ने 1857 की क्रांति में भाग लेकर अपने राज्य की रक्षा कर अंग्रेज अधिकारी वाडिंग्टन को भगाया। रानी अवंतिबाई की जीवनी से देशभक्ति की भावना प्रज्वलित होती है।

शहपुरा विधायक ओमप्रकाश परस्ते ने अपने सम्बोधन में रानी अवन्तिबाई के बलिदान की शौर्यगाथा का वर्णन करते हुए, क्षेत्र के विकास सौगात के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को अवगत कराया।

जिले  के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सौगात

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मेंहदवानी से आईटीआई तक डामरीकरण का कार्य, शहपुरा में 132 केव्ही. का सब स्टेशन निर्माण, दनदना, राघो, नागदमन, गोरखपुर जलाशयों के पक्की नहरीकरण कार्य, नर्मदा तट पर सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन कार्य, मूसरघाट से शहडोल मार्ग, समनापुर में तहसील कार्यालय का क्रियान्वयन, गौराकन्हारी में कन्या छात्रावास, नेवसा वाटरफॉल के समीप गाजर नदी पर बांध बनाये जाने की सौगात दी। 

हितग्राहियों को किया हितलाभ वितरण

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमएसएमई प्रोत्साहन योजना के तहत राहुल केशरवानी को 2 करोड़ 27 लाख स्वीकृत राशि राइस मिल के लिए, सीसीएल के तहत मां नर्मदा आजीविका स्व सहायता समूह सहित 2482 स्व सहायता समूहों को 53 करोड़ 80 लाख की राशि, पीएमएफएमई योजना के तहत अमृता, संतोषी स्व सहायता समूह को फ्लोर मिल के लिए 7 लाख रूपए की राशि का हितलाभ वितरण मंच से किया गया।

Ashish Joshi

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