महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की योजनाओं के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जनपद पंचायत डिंडोरी की ग्राम पंचायत बिजोरा में पूर्णिमा तेजस्विनी महिला स्व-सहायता समूह को आजीविका परियोजना के तहत 8 लाख रुपये सूअर पालन के लिए दिए गए थे, लेकिन न तो महिलाओं को इसका कोई लाभ मिला और न ही अब समूह के पास कोई सूअर बचा है।
राजेन्द्र तंतवाय की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, शनिवार 8 मार्च,जिले में संचालित आजीविका परियोजना के जिम्मेदार अधिकारी महिलाओं के स्व सहायता समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर बड़े बड़े कारनामे कर रहे हैं।
समूह की महिलाएं तो आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम भी नहीं बढ़ा सकीं पर आजीविका परियोजना के जिम्मेदार नुमाइंदे जरूर मालामाल हो गए ऐसा ही मामला है जनपद पंचायत डिंडोरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बिजोरा का जहां भोली भाली महिलाओं को जोड़कर पूर्णिमा तेजस्विनी समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के सब्जबाग दिखा कर 8 लाख रुपए सूअर पालन के नाम पर दिए गए, लेकिन महिला समूह के पास एक भी सूअर जीवित नहीं है
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार 8 लाख रुपए से 3 लाख रुपए का सूअर पालन करने के लिए शेड का निर्माण किया गया है जिसे देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है की उक्त शेड निर्माण में कितनी लागत लगी होगी इस संबंध में जब समूह की सचिव से फोन पर बात की गई तो उन्होंने ने बताया की अगस्त सितंबर 2024 में इन्हें 26 नंग सूअर दिए गए थे पर बीमारी के चलते एक भी सूअर जीवित नहीं बचे और जिम्मेदारों ने उक्त मृत सुअरों का पी ,एम ,करना भी आवश्यक नहीं समझा जबकि शासन की अनुदान राशि से समूह को सूअर प्रदान किए गए थे वहीं जब इस मामले में पूर्णिमा तेजस्विनी समूह की अध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने ने बताया की वो पढ़ी लिखी नहीं है 8 लाख रुपए के 26 सूअर इन्हें दिए गए थे जिसमें एक भी सूअर वर्तमान में जीवित नहीं हैं और अब तक न इन्हें एक रुपए का कोई लाभ मिला और न ही समूह की अन्य महिलाओं को सूत्रों की माने तो आजीविका परियोजना के द्वारा महिला सशक्तिकरण और महिलाओं को आत्मनिर्भर निर्भर बनाने के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार आजीविका परियोजना के जिम्मेदार नुमाइंदों के द्वारा किया गया है जिसकी बानगी है ग्राम पंचायत बिजोरा का पूर्णिमा स्वा सहायता समूह