लगातार दूसरे दिन भारी मात्रा में गांजा बरामद, पुलिस के खुफिया तंत्र पर उठ रहे सवाल
आई विटनेस न्यूज 24, सोमवार 10 फरवरी,जिले में नशा तस्करी के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश होने के बावजूद लगातार मादक पदार्थों की बरामदगी जारी है। शहपुरा के पड़रिया क्षेत्र में फिर से भारी मात्रा में गांजा मिलने के बाद प्रशासन के लिए यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सिर्फ शहपुरा ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में नशा तस्करों के गिरोह सक्रिय हैं?
ताजा मामले में, ताजा मामले में, जानवर चराने गए युवक को खजरी नाला और आसपास के खेतों में गांजा पड़ा मिला युवक ने खेत में संदिग्ध पैकेट देखे और तुरंत ग्राम कोटवार व पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब छानबीन की, तो 40 पैकेट गांजा बरामद हुआ। यह घटना तब हुई जब कुछ ही दिन पहले पुलिस और अन्य विभागों की संयुक्त कार्रवाई में 550 पैकेट गांजा, देसी बम और संदिग्ध सामान जब्त किया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं यह इशारा कर रही हैं कि केवल शहपुरा ही नहीं, बल्कि जिले के अन्य इलाकों में भी नशा तस्करों का संगठित गिरोह सक्रिय हो सकता है। अगर प्रशासन ने इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि अगर लगातार इतनी बड़ी मात्रा में गांजा बरामद हो रहा है, तो यह स्पष्ट है कि जिले के विभिन्न हिस्सों में नशा तस्करों के मजबूत नेटवर्क बने हुए हैं।
हालांकि गांजा बरामदगी के बाद दो अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, लेकिन लगातार हो रही नशा तस्करी की घटनाएं दर्शाती हैं कि अभी भी कई रसूखदार लोग इसमें शामिल हो सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए गंभीर कदम उठा रहा है या सिर्फ सतही कार्यवाही कर रहा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस को सिर्फ बरामदगी करने के बजाय पूरे नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में काम करना होगा। इसके लिए ड्रग माफियाओं की पूरी श्रृंखला को उजागर करना, उनकी फंडिंग के स्रोतों की जांच करना और स्थानीय स्तर पर मजबूत खुफिया तंत्र विकसित करना बेहद जरूरी है।
फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है, और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में नशा तस्करी से जुड़े और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यही है—क्या प्रशासन इस गहरी जड़ें जमा चुके नेटवर्क को पूरी तरह खत्म कर पाएगा, या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?