चौकिए नहीं ये दिल्ली की यमुना का नहीं, बल्कि डिंडोरी नगर परिषद द्वारा घर घर पहुंचाया गया मां नर्मदा का पानी है । झाग से लबरेज़ भूरे रंग का यह जल डिंडोरी जिला मुख्यालय जहां जिले के तमाम जिला अधिकारी व कहे जाने वाले जनप्रतिनिधि निवास करते है।
आई विटनेस न्यूज 24, गुरुवार 27 फरवरी,डिंडोरी जिले में जनप्रतिनिधि बदलते रहे, कलेक्टर आते-जाते रहे, सीएमओ की नियुक्तियाँ होती रहीं, नगर परिषद की परिषदे भी बदलीं, लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वह है जिला मुख्यालय की बदहाल नल-जल व्यवस्था। दशकों से चली आ रही इस समस्या की ओर कोई गंभीरता से ध्यान नहीं देता।
दिया तले अँधेरा: जिले के अधिकारियों की अनदेखी
25 मई 1998 को मंडला से अलग होकर डिण्डोरी जिले के अस्तित्व में आया।तब से जाने कितने विधायक और कलेक्टर बने।
हर नए कलेक्टर के आते ही दौरों और निरीक्षणों का सिलसिला जरूर शुरू होता है, लेकिन जिला मुख्यालय की नल-जल व्यवस्था का निरीक्षण शायद ही कभी प्राथमिकता बन पाता है। बगल के मंडला जिले में जहाँ दोनों समय एक-एक घंटे नियमित जल आपूर्ति होती है और पानी का किराया भी मात्र ₹100 रखा गया है, वहीं डिंडोरी में पानी का शुल्क पूरा 100 रुपये वसूला जाता है, लेकिन बदले में गंदा और झाग से भरा भूरा रंग जल सप्लाई किया जाता है।वो भी एक टाईम और नल में पानी आने का भी समय निश्चित नही।
नगर परिषद डिंडोरी और शाहपुरा दोनों ही जगह परिषदों द्वारा नल जल योजना के तहत दिया जाने वाले पानी की स्थिति बेहद खराब है। जल में इतनी गंदगी होती है कि यह पीने तो दूर, नहाने लायक भी नहीं बचता। प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वैसे तो नगर परिषद का काम मां नर्मदा के जल को वाटर ट्रीटमेंट के बाद नल द्वारा घर घर पहुंचाने की है पर सप्लाई मै जो जल आ रहा है उसे न जाने किस विधि से ट्रीटमेंट किया जा रहा है ये समझ से परे है, क्योंकि जो सप्लाई मै पानी आ रहा है उससे अच्छा पानी तो डायरेक्ट नर्मदा जी से ले ले तो बेहतर होगा।
वहीं, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के घरों की बात करें तो वहाँ वाटर प्यूरीफायर लगे हैं। उन्हें इस जल संकट का एहसास ही नहीं, क्योंकि वे खुद साफ पानी इस्तेमाल कर रहे हैं। आम जनता के लिए स्थिति यह है कि या तो वे गंदा पानी पीने को मजबूर हैं या फिर महंगे दामों पर पानी खरीद रहे हैं।
नगर परिषद पर स्वच्छता के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जब पीने के पानी की स्वच्छता की बात आती है, तो कोई ध्यान नहीं देता। हैरानी की बात यह भी है कि जनता इस समस्या को सहन कर रही है, न कोई विरोध है, न कोई शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है।
क्या डिंडोरी की जनता को स्वच्छ जल प्राप्त करने के लिए हमेशा इंतजार ही करना पड़ेगा? क्या प्रशासन इस समस्या को हल करने की जिम्मेदारी लेगा? या फिर यह समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक कोई बड़ी अनहोनी न हो जाए?
नगर परिषद और जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और जल शुद्धिकरण व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए, ताकि आम जनता को साफ और स्वच्छ जल मिल सके। जनता को भी अपनी आवाज़ उठानी होगी, क्योंकि अधिकार मांगने से ही मिलते हैं, चुप बैठने से नहीं।