जनहित याचिका लगाएँगे अधिवक्ता सम्यक् जैन गणेश पाण्डे की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 7 जनवरी,सरकार कहती है कि प्रदेश के विकास कार्य में कमी नहीं रखी जाएगी, लेकिन डिंडोरी जिले के हालात तो कुछ और हैं. यहां सीवर लाइन बिछाने का प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गया. सात साल पहले अमृत योजना के तहत सीवर लाइन प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया था जो 2 वर्ष में पूरा किया जाना था जो आज तक पूरा नही हो सका है. इस काम में कितना वक्त लगेगा इसका जवाब भी जिम्मेदारों के पास नहीं है। शहर का हाल देखकर अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो रहा है कि यह सड़कों का जाल है या फिर दूरस्थ गांव का कोई खेत. जिस सड़क पर नजर पड़ती है बस मिट्टी का ढेर नजर आता है. जब भी थोड़ी सी बरसात होती है पूरा शहर दलदल में तब्दील हो जाता है. पिछले एक दशक से सीवर प्रोजेक्ट (Sewer Project) के नाम पर खुदाई और खनन का खेल चल रहा है और जनता परेशान होकर भटकती रहती है. शहर के सबसे व्यस्त बाजार क्षेत्र में सीवर लाइन का काम बिना बैरिकेटिंग शुरू कर दिया गया है, जिससे लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि नगर में सीवर प्रोजेक्ट की शुरुवात वर्ष 2016 में की गई थी. उस समय क़रीब 32 करोड़ की लागत से लाइन बिछाने का काम, जिस ठेका कंपनी को दिया गया वह अधूरा काम छोड़कर चलती बनी. अब मामले की जिम्मेदारी जे एम रमानी को दी गई है जो शहर में कभी भी कहीं भी खुदाई शुरू कर देते हैं. यातायात के अलर्ट के बाद भी कंपनी ने बाजार क्षेत्र में सीवर लाइन का काम शुरू कर दिया. नतीजा यह हुआ कि मेन मार्केट में आये दिन भारी भरकम मशीन के कारण जाम की स्तिथि निर्मित होती है। इसके अलावा नर्मदा गंज, कंपनी चौक, सिविल लाइन, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी पूरी तरह से खोदकर छोड़ दिया गया. रात में तमाम वाहन चालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
मिट्टी में तब्दील आधा नगर
मुख्यालय के मुख्यमार्ग को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर शहर गड्ढों व मिट्टी में तब्दील हो चुका है. कई मोहल्लों से मोटर साइकिल का निकलना मुश्किल हो चुका है. सीवर प्रोजेक्ट के बाद सड़कों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है. रोड रिस्टोरेशन का काम ठेका कंपनी ने किया ही नहीं. इसके अलावा कई सड़कों से मिट्टी का मलबा भी नहीं हटाया गया जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
व्यापार हुआ चौपट
कड़ाके की ठंड में तमाम व्यापारियों का करोबार वैसे भी प्रभावित था. जो थोड़े बहुत ग्राहक आते भी थे वे अब रास्ता न होने के कारण दुकान तक नहीं आ रहे हैं. बाजार क्षेत्र की तमाम बड़ी दुकानें यहां पर मौजूद हैं लेकिन सड़क खोद दिए जाने के कारण लोग पहुंच नहीं पा रहे हैं. यह सबसे बड़ी अदूरदर्शिता उन अधिकारियों की है जिनको समय पर प्रोजेक्ट पूरा कराने की जिम्मेदारी दी गई है.
इनका कहना है :-
नगर में सीवर की समस्या के समाधान के लिए करोड़ों की लागत से बन रहे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के कार्य में शुरुआत से ही सवाल उठ रहे हैं। यह प्रोजेक्ट इसलिए शुरू हुआ था ताकि शहर से निकलने वाली गंदगी नाले-नालियों के जरिए नर्मदा में समाहित ना हो। लेकिन इस परियोजना में करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी एक भी चेंबर सीवर लाइन से कनेक्ट नहीं हो पाया है। नतीजतन नालों की गंदगी बहकर नर्मदा में पहुंच रही है। इससे सीवर लाइन बनाए जाने का मूल उद्देश्य ही त्रिशंकू बनने की दशा में पहुंच गया है। इस तरह जनता का पैसा बर्बाद होने की स्थिति चिंताजनक है।
-एड़. सम्यक् जैन(अधिवक्ता व याचिकाकर्ता)