राजेन्द्र तंतवाय की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, बुधवार 29 जनवरी,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र विक्रमपुर के अंतर्गत आने वाले अधिकांश उप स्वास्थ्य केन्द्रों के नियमित और समय पर नहीं खुलने से क्षेत्र के ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।यही कारण है कि ग्रामीण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के गरीब आमजन स्वास्थ्य सुविधाओं के बदहाली की मार झेल रहे हैं। और झोला छाप डाँक्टरों से इलाज करवाने विवश हैं।उप स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ सरकारी स्वास्थ्य कर्मी ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती होने के बावजूद भी गांवों में अपनी मर्जी के दिन और समय पर ही पहुंचते हैं जैसे इनको सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश से कोई लेना देना ही नहीं है, या फिर इनके उच्चाधिकारीयों ने इन्हें मनमर्जी करने की खुली छूट दे रखी है। सबसे ज्यादा ग्रामीण अंचलों के क्षेत्रों में रहने वाले लोग स्वाथ्य सेवाओं की बदहाली की मार झेल रहे हैं। कहते हैं कि हमारा भारत गांव में बसता है और स्वास्थ्य ही वास्तविक पूंजी है। सरकार भी लगातार ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु प्रयत्न शील है। पर उनके ही अधिकारी, कर्मचारी सरकार के प्रयासों में पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रात्रिकालीन स्वास्थ्य सुविधाओं में प्राथमिक उपचार तक की कोई व्यवस्था नहीं है। कहने को तो एम्बुलेंस का रिस्पांस टाईम ग्रामीण क्षेत्रों में 24मिनट है, पर वह भी समय पर नहीं पहुंचती है। कुल मिलाकर स्वास्थ्य सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद चिंताजनक है।
ऐसा ही मामला ग्राम अझवार से सामने आया है अझवार के ईश्वर दुबे के ढाई वर्ष के बच्चे विनायक को दिनाँक 13/1/2025सोमवार को दस्त की शिकायत होने पर उप स्वास्थ्य केन्द्र बंद होने से प्राथमिक उपचार नहीं मिल सका। हालत बिगडने पर मंगलवार के शाम को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया पर बुधवार सुबह तक बच्चे की मृत्यु हो गई। जिससे व्यथित होकर बच्चे के पिता ने उप स्वास्थ्य केन्द्र बंद होने की शिकायत 181में दर्ज कराई गई है साथ ही लापरवाह कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है।