गणेश पाण्डे की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, शनिवार 14 दिसम्बर,सूचना का अधिकार अधिनियम 15 जून 2005 को अधिनियमित किया गया और पूर्णतया 12 अक्टूबर 2005 को सम्पूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया। सूचना का अधिकार अर्थात् राईट टू इनफार्मेशन। सूचना का अधिकार का तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। लेकिन डिन्डोरी जिले में इसका अस्तित्व ख़त्म सा होते जा रहा है ।
वैसे तो सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की सुविधा के लिए बनाया गया है लेकिन लगता है डिंडोरी जिले में यह अधिनियम दिखावा साबित हो रहा है। जानकारी देने की बात तो दूर रही जिले में ज्यादातर कार्यालयों में सूचना के अधिकार अधिनियम का बोर्ड भी नदारत है। जिले में ऐसे बहुत से कार्यालय हैं जहां पर सूचना का अधिकार अधिनियम के आवेदन महीनो से पड़े धूल खा रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में महिला बाल विकास विभाग, नगर परिषद, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, शिक्षा विभाग और भी बहुत से ऐसे विभाग है जहां पर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आए हुए आवेदन धूल खा रहे हैं। इतना ही नहीं जिले के अधिकारी न्यायालय की अवमानना करने से भी नहीं चूकते
विगत दिनों महिला बाल विकास विभाग में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आर टी आई कार्यकर्ता ने किसी विषय पर जानकारी चाही थी।जिस पर महिला बाल विकास विभाग के द्वारा जानकारी नहीं दी गई।आवेदक द्वारा न्यायालय अति कलेक्टर के पास प्रथम अपील की गई जिसमें न्यायालय अति कलेक्टर के द्वारा महिला बाल विकास विभाग को जानकारी दिए जाने का आदेश दिया गया।उसके बाद भी आवेदक को जानकारी नहीं दी गई।
किसी विभाग विशेष के द्वारा आखिर जानकारी न देने का क्या अर्थ है यह बात किसी से छिपी नहीं है। ऐसा ही हाल नगर परिषद,वन विभाग,शिक्षा विभाग का भी है।जहां सूचना का अधिकार अधिनियम के आवेदन धूल खा रहे हैं।सूत्रों की माने तो आज तक बिना किसी अपील के सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी नहीं दी गई है। जिन कार्यालयों में सूचना का अधिकार अधिनियम के आवेदन धूल खा रहे हैं जल्द ही उनका खुलाशा किया जाएगा।
क्रमशः ..............................।