ईश्वर दुबे की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 10 दिसम्बर,मध्यप्रदेश की मोहन सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए भले ही एक नई व्यवस्था लागू करने जा रही है,पर ग्रामीण अनचलो में पदस्थ सरकारी कर्मचारियों की अपनी ही एक अलग व्यवस्था चलती है,और उनकी इस व्यवस्था से ग्रामीण अंचलो में रहने वाली जनता खासी परेशानी रहती है।
वहीं मोहन सरकार कामचोर और लेट से ऑफिस पहुंचने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कसने की
तैयारी में जुटी है,हालाँकि पहले भी ऐसे प्रयास किये जा चुके है पर उसका धरातल पर असर शून्य नजर आया।
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारियों की लेटलतीफी से आम जनता को आये दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है।
भले ही सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश कुछ भी हो पर ग्रामीण क्षेत्रों में धरातल पर नतीजा कुछ भी नजर नहीं आता है। सरकारी कर्मचारियों को इससे कोई लेना देना नहीं है।
एक तो ये जिस सरकारी कर्मचारी की जिस ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापना हैं। वहाँ मुख्यालय बना कर रहते नहीं है। और फिर देर सेआने और जल्दी जाने का सिलसिला शुरु हो जाता है। कई अति आवश्यक सेवाओं के कार्यालय भी मन मुताबिक संचालित किए जा रहे है। और कर्मचारी आधे समय के लिए आते हैं।और कभी कभी तो बिना किसी अवकाश और सूचना के भी सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। जिससे आम आदमी को विभिन्न सरकारी सेवाओं का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चटिया, मोहतरा, गनवाही, मुड़की, अझवार, कुदवारी, दुहनिया, बटौंधा, सारसताल, सहित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में समस्या बनी हुई है। जिसका मुख्य कारण ग्रामीण उच्चाधिकारीयों का क्षेत्र में दौरा ना करना बताते है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर उच्चाधिकारी समय समय पर क्षेत्रों का औचक निरीक्षण करें तो स्थिति में सुधार किया जा सकता है। खबर प्रकाशन के बाद भी अगर इनकी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं आता तो नाम विभाग और पद सहित ईनका कच्चा चिटठा उजागर किया जायेगा।