जिले के अधिकारियों और नेताओं की उदासीनता का शिकार कब तक रहेगा जीवाश्वम पार्क
टूरिज्म को हो रहा है भारी नुकसान जवाबदार कौन?
आई विटनेस न्यूज 24, शनिवार 23 नवम्बर,मध्यप्रदेश की सुंदरता की किताब जब भी लिखी गई है तो डिंडोरी का नाम भी सुमार हुआ है। पर जिले के अधिकारियों को कुछ और ही मंजूर है मध्यप्रदेश को जान फूंकने वाला डिंडोरी जिले का जीवाश्वम पार्क उदासीनता का लगातार शिकार हो रहा है। विदेशी पर्यटक जब कान्हा नेशनल पार्क आनंद लेने आते है तो उनके मन मैं चाह होते है कि, वे घुघवा भी आए अफसोस जिले के अधिकारियों को शायद यह रास नहीं आता यही कारण है कि, घुघवा पार्क मैं पड़े अवशेष और पूरा कैंपस अपने अस्तित्व पर मंडराते खतरे को देख कर चिंतित है। अब वहां के वातावरण ने भी चिल्लाना चीखना शुरू कर दिया कि पार्क को भी ज्वीणोंउदार की आवश्यकता है। जिससे पुनः नेशनल पार्क की तरह नजर आने लगे ।
इन दिनों देखा जाए तो विश्व भर के विदेशी पर्यटकों की इंडिया घूमने कतार लगी रहती है पर डिंडोरी जिले के मुखिया को इन बात से शायद ही तनिक फर्क पड़ता होगा। विदेशी पर्यटकों मै अधिकांश रिसर्चर भी आते और जब वह घुघवा पार्क की स्थिति देखते होंगे तब मौजूदा लोगों को थोड़ी शर्म का तो सामना करना ही पड़ता होगा पर इस बात से न डीएफओ चिंतित है न जिले के कलेक्टर जरूरी समझते है।
टूरिज्म को भी लग रहा है घाटा।
देखा जाए तो डिंडोरी टूरिज्म के लिए भरा पड़ा है पर जिले के अधिकारियों की अनदेखी और कामचोरी के चलते टूरिज्म मैं डिंडोरी आज भी पीछे है जबकि घुघवा नेशनल पार्क है जिले के पास देव नाला और नेवसा जैसे बड़े वाटर फॉल है अभ्यारण भी है बड़े बड़े पिकनिक स्पॉट है। फिल्म शूट के लिए शानदार लोकेशन है डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए शानदार लोकेशन है फिर भी जिले मैं विकास की गति "विकास" के साथ ही चली गई, और जिले के लोग वही "हर्ष" उत्साह और बधाई ही मना रहे है ।
कब तक आदिवासी जिला उपेक्षा का शिकार होगा
देखा जाए तो जिले मैं बड़े बड़े दिग्गज मंत्री और राष्ट्रीय नेता भी है पर किसी भी नेता ने अपनी पहुंच से आगे जिले को नहीं जाने दिया है यही आलम है कि जिले के आदिवासी भाई बहन आज रोजगार के लिए बाहर पलायन करने मजबूर है।
घुघवा और टूरिज्म को बढ़ाने आई विटनेस न्यूज 24 की मुहिम जारी रहेगी।