गणेश पाण्डे की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, शुक्रवार 15 नवम्बर,डिंडोरी-: आने वाले दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह तक भारतीय जनता पार्टी को नया जिलाध्यक्ष मिल जाएगा। इसे लेकर जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है। जानकारों का कहना है कि 21 नवंबर को दिल्ली में चुनाव कार्य से जुड़े प्रदेश पदाधिकारी की अहम बैठक बुलाई गई है। इसमें मंडल और जिला अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों का अधिकृत ऐलान हो सकता है। पार्टी में संगठन चुनाव का पूरा थे, मसौदा वोटिंग की बजाय आम रंगे सहमति पर निर्भर है। वर्तमान में के मंडलों की बैठक हो रही है। बूथ स्तर के पर चुनाव हो रहे हैं। जिले के सातो की मंडलों में बूथ कमेटियों के निर्वाचन रह की प्रक्रिया चल रही है। हर बूथ का कमेटी में 11 सदस्य चुने जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा चुनाव प्रभारी भी बनाए गए हैं। बूथ कमेटियों के में बाद मंडलों के चुनाव और इसके उपरांत जिला अध्यक्ष का चुनाव होना है।भाजपा जिला अध्यक्ष के लिए दावेदारों की लबी लिस्ट है। इनमें से पूरा प्रबल दावेदारों में वर्तमान जिला अध्यक्ष अवधराज बिलैया, पूर्व में जिला अध्यक्ष संजय साहू, शहपुरा क्षेत्र से भाजपा के वर्तमान जिला महामंत्री ज्ञानदीप त्रिपाठी, करंजिया से दिलीप ताम्रकार, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष कृष्णा परमार , सुधीर दत्त तिवारी सहित कई दावेदार हैं। वहीं सामाजिक जनसंख्या की दृष्टि से के जिले में बहुतायत साहू समाज के वर्तमान जिला अध्यक्ष दुर्गेश साहू , बद्री साहू व टेकेश्वर साहू भी जिला अध्यक्ष के दावेदार हैं।
डिंडोरी जिले के गठन के बाद जिले मै बने तीन जिलाध्यक्ष कैलाश चन्द जैन,कमल अग्रवाल व तुलसीराम कटेहा को छोड़ दे तो बाकी सभी बने जिलाध्यक्ष पार्टी के लिए कुछ खाश नहीं कर पाए। इसका साफ कारण यह था कि संगठन को चलाने का काम सत्ता धारी लोग अपने घर से संगठन चलाने लगे, या साफ कहे कि संगठन मै पदाधिकारी बनने के लिए सांसद विधायक कि अनुशंसा लगने लगी इसकी परिणीति यह हुई कि जिले में भाजपा का सुपड़ा साफ नजर आने लगा ।
सूत्रों कि माने तो संगठन में यह भी चर्चा हैं कि डिंडोरी जिला आदिवासी बाहुल्य जिला हैं इस कारण यह आदिवासी अध्यक्ष बने इस दौड़ में पूर्व जनपद अध्यक्ष व पूर्व जिला महामंत्री चमरू नेताम, जिला पंचायत सदस्य प्रीतम मरावी, अनुचित जनजाति मोर्चा के महामंत्री पंकज टेकाम व महाकौशल विकाश प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष व दो बार डिंडोरी विधानसभा प्रत्याशी जयसिंह मरावी भी जोर आजमाइश मै लगे हुए है।
वैसे देखा जाए तो डिंडोरी जिले मै स्थित दो विधानसभा मै काफी लंबे अंतराल के बाद एक सीट शाहपुरा अभी भाजपा के पास गोडवाना पार्टी के अभयदान के कारण है इससे यह साफ होता हैं कि संगठन में फैली इस लचर व्यवस्था को सुधारने कोन सा जिलाध्यक्ष फिट बैठेगा जो सत्ता पर लगाम कस संगठन को मजबूती प्रदान करेगा या संगठन की चाबी फिर उन्हीं सत्ताधारी लोगों के जेब से निकल कर आएगी ये तो भविष्य के गर्त में छुपा है।