डिंडोरी शासन द्वारा ग्राम विकास के लिए आने वाली शासकीय धनराशि का आदिवासी बाहुल्य जिले में दुरुपयोग करना पंचायत के प्रतिनिधियों का शगल बन गया है अति की पराकाष्ठा तो तब हो जाती जब सबंधित जिम्मेदार भी अपनी आंखे बंद कर इन्हें अपनी मौन स्वीकृति प्रदान करते देखे जाते हैं ऐसा ही मामला है जनपद पंचायत डिंडोरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पलकी का जहां तत्कालीन सरपंच ओमकार सिंह उद्देय के द्वारा सरपंच पद पर रहते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत वर्ष लगभग 17 18 में 15 / लाख रुपए की लागत से ऐसी जगह पर जगह पर स्टाप डैम का निर्माण कार्य करा दिया जिससे सिर्फ उनको लाभ मिल सके ग्राम पंचायत के पोषक ग्राम बहेरा टोला निवासी विश्राम सिंह वालरे ने तत्कालीन सरपंच पर नियम विरुद्ध तरीके से स्टाप डैम निर्माण कार्य करने का आरोप लगाते हुए बताया की जिस स्टाप डैम को ओमकार सिंह उद्देय के द्वारा छोटे झाड़ के जंगल में बनवाया गया है उस डैम की तकनीकी स्वीकृति शंकर घाट नाला में बनाने की थी लेकिन सरपंच द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय रिकार्ड अनुसार छोटे झाड़ के जंगल में जिसका रकबा 0 .80 आरे लगभग दो एकड़ भूमि जिस पर 20 वर्षों से भी अधिक समय से विश्राम सिंह वालरे का अधिपत्य है उस पर स्टाप डैम निर्माण कर दिया गया यहां अहम बात यह है की जहां पर डैम निर्माण कार्य किया गया है वहां पर शासकीय रिकार्ड अनुसार कोई नाला है ही नहीं फिर सवाल यह है की नियम विरुद्ध तरीके से स्टाप डैम का निर्माण कार्य कैसे संभव हो गया इसकी जवाबदेही उस समय पर पंचायत में पदस्थ रहे उपयंत्री ,सचिव ,एवं सक्षम अधिकारी की भी बनती है की आखिर नियमों को धत्ता बताते हुए तकनीकी स्वीकृति उक्त स्थान जहां नाला है ही नहीं 15 लाख की लागत से डैम निर्माण कैसे कर दिया गया क्योंकि उक्त स्टाप डैम में वर्तमान में नाम मात्र ही पानी और उसका उपयोग महज एक ही व्यक्ति कर रहा वह भी ओमकार सिंह वालरे बहरहाल देखना दिलचस्प होगा की जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी उक्त मामले को कब तक संज्ञान लेते हैं और कार्यवाही की चाबुक चलाते हैं।
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ग्राम पंचायत पलकी में नियमों को ताक पर रख कर दिया गया 15 लाख की लागत से स्टाप डैम निर्माण
ग्राम पंचायत पलकी में नियमों को ताक पर रख कर दिया गया 15 लाख की लागत से स्टाप डैम निर्माण
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