ईश्वर दुबे की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, शुक्रवार 26 अक्टूबर,रामायण और प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम रावण का वध करके लंका विजय के बाद माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उस दिन पूरे अयोध्या नगरी में दीप जलाए गए। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से सजाई गई थी। कहते हैं कि भगवान राम चौदह वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या आगमन पर पहली दिवाली मनाई गई। हर गाँव हर नगर में दीप जलाए गए थे। तब से दीपावली का यह पर्व अंधकार पर प्रकाश के विजय के पर्व के रूप में मनाया जाता है। उल्लेख नीय है कि इस वर्ष 2024में दीपावली पर्व को लेकर अनेक स्थानों में अलग अलग तिथियां बताई जा रही हैं। कोई 31अक्टूबर तो कोई 1नवम्बर को सही ठहरा रहे हैं। शास्त्र सम्मत बात की जाये तो दीपावली में प्रदोषकाल में अमावस्या होना आवश्यक है, मध्य रात्रि में भी अमावस्या होना चाहिए। 31अक्टूबर को प्रदोषकाल और पूर्ण रात्रि में अमावस्या है। अतः लक्ष्मी पूजन शास्त्र सम्मत वा श्रेष्ठ है। दीपावली के पर्व काल में अमावस्या के रात्रि की प्रधानता है। जो 1नवम्बर को प्राप्त नहीं है। इसलिए दीपावली 31अक्टूबर को शास्त्र सम्मत है। अधिक जानकारी के लिए अपने आचार्य या विद्बजनों से सम्पर्क कर सकते हैं। सभी को दीपावली की अग्रिम शुभ मंगल कामनाऐं।