राजेश ठाकुर की रिपोर्ट,
आई विटनेस न्यूज 24, बुधवार 7 अगस्त,डिण्डौरी आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी के ग्रामीण अंचलों में इन दिनों डायरिया एवं उल्टी दस्त से लगातार जनहानि हो रही है, बावजूद इसके ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में आपातकालीन निःशुल्क एम्बुलेंस परिचालन की लचर व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग काफी परेशान है।स्वयं के या फिर किराये के प्राइवेट वाहनों से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या जिला चिकित्सालय ले जा कर परिजनों का उपचार कराने मजबूर हैं। चार पहिया वाहन ग्रामीण क्षेत्र से जिला अस्पताल तक ले जाने में मोटी रकम किराये में ही खर्च हो जाती है। सूत्रों की माने तो यह एम्बुलेंस मनमाने तरीके से कहीं भी बिना काम के घंटों खडे़ रहते हैं। चूंकि इन्हें अस्पताल परिसर होना चाहिए।प्राप्त जानकारी अनुसार ऐसा ही मामला ग्राम अझवार से सामने आया है,जहां ग्रामीण धर्मेंन्दृ सोनकर की बच्ची खुशी सोनकर का स्वास्थ्य रात्रि में लगभग 8बजे अचानक खराब हो गया। जिससे पूरे घर के लोग परेशान हो गए। और एम्बुलेंस के लिए 108नंबर पर संपर्क किया। पर वाहन उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर फोन काट दिया गया। बच्ची के पिता ने बताया कि मेरे द्वारा दो बार फोन लगाया गया पर फिर से वही जवाब देकर फोन कट कर दिया गया। विक्रमपुर के खमरिया माल के ग्रामीणों के द्वारा भी बताया गया कि जब कभी एंबुलेंस सेवा के लिए 108 डायल किया जाता है, तो वाहन उपलब्ध ना होने का बहाना बता कर, घंटा इंतजार कराया जाता है, फिर भी वाहन नहीं उपलब्ध कराया जाता है!उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्रों में 18मिनट और ग्रामीण क्षेत्रों में 25मिनट एम्बुलेंस का रिस्पांस टाइम है। पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। एम्बुलेंस परिचालन व्यवस्था में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। जिससे आपात काल स्थिति में इसका लाभ आम आदमी को मिल सके।