लामबंद हो ग्रामीण पहुंचे जनसुनवाई में
आशीष जोशी
आई विटनेस न्यूज 24, बुधवार 14 अगस्त,डिंडोरी अपने निजी स्वार्थ हित साधने के फेर में जिले के सरपंच सचिव के द्वारा शासन द्वारा तय किए गए नियमों की धज्जियां उड़ना इनके लिए आम हो चला है ऐसा ही मामला सामने आया है जनपद पंचायत डिंडोरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत रूसा का जहां ग्रामीणों ने पंचायत सचिव रोशनी मरावी पर गुपचुप तरीके से विज्ञप्ति निकाल कर अपने चहेते को लाभ पहुंचाने का गंभीर आरोप लगाते हुए उक्त मामले की लिखित शिकायत कलेक्टर को जनसुनवाई में लामबंद होकर किया है दरा असल सारा मामला मत्स्य पालन एवं मत्स्ययोखेट की विज्ञप्ति से जुड़ा हुआ है ग्रामीणों का आरोप है की सचिव रोशनी मरावी के द्वारा मत्स्ययोखेट विज्ञप्ति की जानकारी घनामार जलाशय दिनांक 18 /07 / 2024 से 01 / 08 / 2024 निर्धारित की गई थी लेकिन उक्त विज्ञप्ति की जानकारी सचिव द्वारा 08 /08/ 2024 को समूह के सदस्यों को दी गई ग्रामीणों ने बताया की नर्मदा बहुउद्देशीय सहकारिता समिति के सदस्यगण एवं अध्यक्ष ग्राम रूसा माल समिति के सदस्यगण के पूर्वज दादा स्वर्गीय लामू सिंह पिता बजगी , मानिक लाल पिता बाबू लाल ,एवं पनकु बगैरह के स्वामित्व की भूमि खसरा नंबर 8,17,3,79,2,27,1,47,100,256,258,/8 रकबा 3,307,1,535,0,109,0,595,0,405,4,282,18, है जिसका पंजीयन इन सदस्यों के द्वारा आवेदन दिनांक 03 /08 / 2024 को सहकारिता विभाग में जमा किया गया था क्योंकि घनामर बांध पूर्व में पूर्व से चंद्रकांत नंदेहा का ठेका था जिसका कार्यकाल 10 वर्षो का था जिसका कार्यकाल समाप्त हो था जिसके बाद सदस्यगण जनपद पंचायत दिनांक 27 जून को गए तो जनपद पंचायत में इन्हें बताया गया कि सोसायटी की बैठक होना था लेकिन समूह के सदस्यगणों को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई और आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि 18 /07 / 2024 से 01 / 08 /2024 तक तय की गई थी इसके अलावा ग्राम पंचायत रूषा माल में मत्स्य पालन की विज्ञप्ति की सूचना पंचायत कार्यालय में सरपंच सचिव के द्वारा नहीं की गई जबकि विज्ञप्ति तिथि दिनांक 08 / 08 /2024 को समाप्त हो चुकी थी फिर भी सचिव द्वारा समूह के सदस्यों से कहा गया की अपने दस्तावेज जमा कर दें जब समूह के सदस्य दस्तावेज लेकर सचिव रोशनी मरावी के पास गए तो उन्होंने यह कहते हुए सदस्यों को चलता कर दिया की अब सारे दस्तावेज जनपद पंचायत में जमा होगें आरोप लगाते हुए सदस्यों ने बताया की बांध आदिवासियों का है जो सन 1981 82 से काबिज है इन्हें उक्त बांध का ठेका मत्स्य पालन के लिए ने देते हुए गुमराह करने का कार्य सचिव द्वारा करने के आरोप समूह के सदस्यों ने लगाया है।