डिंडौरी न्यूज़ । इन दिनों जल वायु परिवर्तन का मुद्दा वैश्विक विमर्श का विषय
बना हुआ हैं,प्राकृतिक परिवर्तन एवं आपदा चिंता का विषय बने
हुए हैं, पर्यावरण संरक्षण को लेकर वृक्षारोपण के बड़े बड़े दावे और
वादों के साथ प्रधानमंत्री द्वारा एक पेड़ माँ के नाम अभियान का शुभारम्भ करते हुए
वृक्षारोपण हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान का आगाज किया था, जिसके तहत बड़े स्तर पर लोगों ने बढ़ चढ़ कर वृक्षारोपण अभियान में शामिल हुए थे।
एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ो रु ख़र्च कर रही हैं, वही दूसरी और विकास और निर्माण कार्यों के नाम पर बड़े पैमाने पर पेड़ो की अंधाधुंध कटाई की जा रही हैं, सरकार द्वारा कराये जा रहें वृक्षारोपण कार्यक्रम भले ही सफल न हो लेकिन पेड़ो की कटाई पूरी सफाई के साथ की जा रही हैं।
जबलपुर से अमरकंटक तक निर्माणाधीन नेशनल हाइवे कार्य में अनाधिकृत तौर पर हरे
भरे पेड़ो की धड़ल्ले से कटाई की जा रही हैं, जिसको लेकर अधिवक्ता
सम्यक जैन एवं मनन अग्रवाल के शिकायत पर पर्यावरण मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई करने प्रधान
मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिए हैं। वही ठेकेदार के साथ ही स्थानीय ग्रामीण
सरकारी खर्च पर कराये गए वृक्षारोपण पर अधिकार जमाते हुए खुलेआम काट कर टिंबरों को
बेच रहें हैं, जिससे बेखबर वन विभाग गहरी नींद में सोया हुआ
हैं, जबकि पेड़ पौधों का संरक्षण एवं कटाई रोकना वन विभाग की पहली
जिम्मेदारी हैं, वन विभाग की चुप्पी और कार्यशेली संदेह के घेरे
में हैं, लोगों का कहना हैं की यदि वन विभाग ईमानदारी से काम करता तो
सैकड़ों हरे भरे पेड़ो को बचाया जा सकता था।
डिंडोरी कलेक्टर के पद पर रहते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी बोरकर चंद्रशेखर ने
काफ़ी मेहनत कर सड़क किनारे वृक्षारोपण कराया था, अथक परिश्रम के बाद पेड़
बड़े हुए थे, उन्होंने पेड़ो की कटाई पर टिप्पणी करते हुए
सोशल मीडिया प्लेटफार्म में लिखा हैं " किसी भी एजेंसी को किसी भी उद्देश से
पेड़ काटने की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब उसपर कम से कम चार गुना अधिक पौधे
लगाने, उन्हें सींचने, उनकी सुरक्षा करने और
उन्हें बड़े पेड़ बनाने की क़ानूनी बाध्यता एजेंसी स्वीकार करे,और बाध्यता को पूर्ण ना करना अपराध की श्रेणी में लाया जाये।"