प्रांतीय शिशुवाटिका ECCE दक्षता वर्ग डिंडोरी में षष्ट दिवस के प्रथम सत्र मे माननीय दिव्यांशु भाई दवे पूर्व कुलपति चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी गांधीनगर गुजरात भारतीय जीवन दर्शन जीवन एक है अखंड है इसलिए पुनर्जन्म होता है भारत के राष्ट् बोध,के अंतर्गत देश बोध , समाज जबोध, संस्कृति बोध ,अध्यात्म बोध,होना अनिवार्य है।जैसा जीवन दर्शन होगा वैसा ही शिक्षा दर्शन होगा।भारत में जीवन दर्शन कल्पना की कोई उड़ान नहीं बल्कि साधना के परिणाम स्वरुप अनुभूति और निष्कर्ष है जो जीवन को दिशा प्रदान करते हैं।
भारतीय संस्कृति एकात्म मानववाद पर निर्भर है इसलिए इस सृष्टि के प्रत्येक जीव जंतु वनस्पति नदी पहाड़ पर्वत से जीवंत संबंध है।इस सृष्टि के प्रत्येक जीव जंतु वनस्पति को अनेक रिश्तों से संबोधित करते है । यहां तक कि चंद्रमा को भी चंदा मामा कहते हैं यही हमारी भारतीय संस्कृति है इस सत्र की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारी संगीता बहन ने की