आशीष
आई विटनेस न्यूज 24, बुधवार 5 जून
,केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अमृत सरोवर को आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी के अफसरों ने अपनी गाढ़ी कमाई का जरिया बना डाला! हम बात कर रहे हैं, जनपद पंचायत डिंडोरी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मूढ़ियाखुर्द की, जहां पर आर.ई. एस. विभाग द्वारा 9762000 रुपयों की लागत से अमृत सरोवर निर्माण कार्य की स्वीकृति मिली थी!
जिसे ठेकेदार सुरेंद्र बिलागर एवं उपयंत्री संदीप शुक्ला आपस में मिली भगत करके भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए, ग्रामीणों के अनुसार ठेकेदार के द्वारा अमृत सरोवर निर्माण कार्य के दौरान नींव में काली मिट्टी की जगह पत्थर युक्त मुरमी मिट्टी डाल दिया गया और रोलर भी नहीं चलवाया गया, कही-कही पर वाहनों के आवा- जावी के लिए मिट्टी के ऊपर गिट्टी डाल दिया गया था,जिसे बाद में निकाला नही गया,इस कारण भी इस जगह से भारी मात्रा में जल रिसाव हो रहा हैं! यही कारण है कि जहां बरसात में इस तालाब में 22 से 25 फीट तक पानी भरा था, अभी वर्तमान में 10 से12 ड्रम पानी ही शेष बचा है,वह भी तालाब की कुंड में, कुल मिलाकर कहा जाए तो इस अमृत सरोवर का निर्माण कार्य बहुत ही घटिया स्तर का एवम गुणवत्ता हीन किया गया है!गौरतलब है की जिस अमृत सरोवर के निर्माण से 50 से 55 हैकटेयर कृषि भूमि में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था, वहां पर आज इंसानों के नहाने-धोने एवम जानवरों के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा है!मछली पालन समिति को हुआ, लाखों का नुकसान
ग्राम पंचायत मुड़िया खुर्द की मछली पालन समिति के सदस्यों के द्वारा बताया गया कि इस अमृत सरोवर में हमारी समिति के द्वारा लगभग ₹50000 की मछलियों के बीज डाले गए थे, जो अमृत सरोवर में भारी मात्रा में हो रहे जल रिसाव के कारण,तालाब में पानी नहीं बच पाने के कारण सारी मछलियां मर गईं,जिससे हमें लाखों रुपए का नुकसान हुआ है, क्या ठेकेदार के द्वारा हमारे नुकसान की भरपाई की जावेगी?
वेस्ट बेयर का निर्माण भी अधूरा
स्थानीय व्यक्तियों के अनुसार इस अमृत सरोवर निर्माण कार्य का बेस्ट वेयर आज भी अधूरा पड़ा हुआ है, जिसकी रेत एवं गिट्टी को ठेकेदार सुरेंद्र बिलागर के द्वारा उठाकर किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया गया, जिसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा की जाने पर,जांच पर अधिकारी तो आए लेकिन किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही आज तक नहीं की गई!
इनका कहना है
ठेकेदार सुरेंद्र बिलागर के द्वारा अमृत सरोवर निर्माण के दौरान नींव में काली मिट्टी की जगह मुरूम युक्त मिट्टी डाली गई, इसके ऊपर रोलर भी नहीं चलाया गया,जिससे भारी मात्रा में जल रिसाव हो रहा है!
ईश्वर सिंह ठाकुर (मेट)स्थानीय ग्रामीण