डिंडोरी विद्या भारती महाकोशल प्रांत द्वारा आयोजित शिशु वाटिका( ECCE) दक्षता वर्ग , सरस्वती शिशु मंदिर डिंडोरी में पंचम दिवस के प्रार्थना सत्र के उद्बोधन में शिवानंद सिन्हा प्रांत प्रमुख ने कहा कि हमारा देश जो सोने की चिड़िया कहलाती थी अंग्रेज जानते थे कि यदि भारतीय पढ़ लिख लेंगे ,अच्छी एवम प्राचीन शिक्षा प्राप्त कर लेंगे तो अंग्रेजों की दास्ता स्वीकार नहीं करेंगे इस कारण से लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति को भारतीयों के ऊपर थोपा गया था ताकि भारतीय गुलामी एवं दास्ता को स्वीकार करें यह प्राचीन भारतीय शिक्षा के तहत कभी नहीं हो सकती थी हमें हमारी भारतीय संस्कृति परंपरा से दूर कर दिया गया और ऐसी शिक्षा व्यवस्था हम पर लागू कर दी गई ।
ऐसी दास्ता को दूर करने के लिए शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता थी और ऐसी विचारधारा के साथ विद्या भारती सरस्वती शिशु मंदिर की शुरुआत की गई और आज देश में 25000 विद्यालय संचालित हो रहे हैं जिनमें समाज को भारतीयता , राष्ट्रीयहित एवं राष्ट्रीययता का भाव जागृत हो सके ऐसी भावना के साथ सरस्वती योजना संचालित हो रही है । हमारे देश का प्रत्येक बालक घर का दीपक नहीं बल्कि जग का दिवाकर बने। बालक की शिक्षा उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए जिसमें वह स्वप्न देखता है उसी भाषा में उसका शिक्षण हो बालक का शिक्षण ऐसा हो कि संस्कारों की पवित्रता , देश की माटी व समाज में एकात्मकता का भाव जागृत हो सके। बालक का सर्वांगीय विकास हमारा मुख्य आधार होना चाहिए हर माता-पिता यह चाहते हैं कि बालक खूब पढ़े-लिखे लेकिन अंतिम समय में अपने माता-पिता के समीप हो।
इस अवसर पर आज के अध्यक्ष डॉ श्री कृष्ण बिलैया जवाहर नवोदय विश्वविद्यालय वैज्ञानिक जबलपुर, वर्ग संयोजक श्रीमति सविता राजपूत गोटे गांव जिला नरसिंहपुर , रामबहोरी पटेल , मनोजपुरी गोस्वामी विभाग समन्वयक मंडला विभाग , श्रीमती संतोषी सोनी शिशु वाटिका सह प्रांत प्रमुख , ओम प्रकाश श्रीवास प्राचार्य सहित प्रान्त से अपेक्षित सभी प्रतिभागी आचार्य दीदीयां उपस्थित रहीं।