डिंडोरी।नेशनल बिल्डिंग कोड और आपदा प्रबंधन नियमों के परिपालन में जवाहर
नवोदय विद्यालय धमनगांव के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने रविवार को आग से बचाव के
तरीकों के बारे जानकारी प्राप्त की है।इस दौरान बतलाया गया कि आग लगने पर अग्निशमन
यंत्रों का उपयोग किस तरह करना चाहिए।इसके साथ यह भी जानकारी दी गई कि अग्निशमन
यंत्र पांच प्रकार के होते हैं और उनका अलग अलग उपयोग भिन्न प्रकार की अग्नि को काबू पाने में किया जा सकता
है।इसके अतिरिक्त रेत,बालू और पानी से भी आग पर काबू पाने के कारगर
उपाय समझाये गये।इसके साथ ही विद्यार्थियों को व्यवहारिक तरीके से प्रशिक्षण देकर
जागरूक किया गया कि आग पर अग्निशमन यंत्र के द्वारा कैसे नियंत्रण पाया जाता है।इस
दौरान प्राचार्य हर्ष प्रताप सिंह ने भी विद्यार्थियों को बतलाया कि आपदा प्रबंधन
सभी बच्चों को सिखाना क्यों जरूरी है।उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में
घबराना नहीं चाहिये और अपने अग्निशमन यंत्रों का प्रयोग कर आग को बुझाने का कार्य
करना चाहिये।प्रशिक्षक धीरज श्रीवास्तव ने छात्रों को अग्निशमन यंत्रों का लॉक
तोड़ना, पिन निकालना व कितनी दूरी से उससे आग पर काबू पाया जा सकता
के बारे में जानकारी क्रत्रिम प्रदर्शन के जरिये दी।प्रशिक्षण के दौरान LPG गैंस सिलेंडर में
आग लगने पर सिलेंडर को भीगे कपड़े एवं कंबल से ढक कर आग पर नियंत्रण पाने की तरकीब
भी समझाई गई है। इस दौरान विद्यार्थियों
के साथ प्राचार्य डॉ.हर्ष प्रताप सिंह,उप प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार राय,श्रीमती संचिता
बनर्जी, श्रीमती अलका विश्वकर्मा,मधवंत धुर्वे,आयुष लहारिया,योगेश्वर वर्मा,मनीष दास पड़वार,पुनीत द्विवेदी,प्रशिक्षक धीरज
श्रीवास्तव किशन कुमार मौजूद रहे।
अधिकांश स्कूलों में अग्नि हादसों से निपटने इंतजाम नहीं
गौरतलब है कि जिले के अधिकांश सरकारी और निजी विद्यालयों में अग्निशमन यंत्रो
की व्यवस्था नही है।कमोवेश छात्रावासों के भी यही हालात हैं।जबकि नियमानुसार सभी
शैक्षणिक संस्थानों में यह चालू हालात में अग्निशमन व्यवस्था अनिवार्य है।लेकिन
विभाग की उदासीनता के चलते स्कूल प्रबंधन नियमों का पालन नहीं कर रहा है।जिससे
विद्यार्थियों पर संकट हो सकता है।स्थिति तो यह भी है कि कुछ संस्थानों में बंद और
कंडम हो चुके अग्निशमन यंत्रों से ही काम चलाया जा रहा है और स्कूल संचालन की मान्यता ली जा रही है।