गणेश पाण्डे की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, शुक्रवार 3 फरवरी, मध्यप्रदेश शासन की योजना अनुसार पेसा एक्ट और नशाबंदी के लिए जगह जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । जिले के अनेकों ग्राम पंचायतों में ग्राम वासियों ने पूरी तरह शराबबंदी के लिए कमर कस ली है। लेकिन लगता है कि जिला मुख्यालय इन सब से अछूता रह जाएगा। जिला मुख्यालय के प्रारंभिक और अंतिम छोर सुबखार और पुरानी डिंडोरी अवैध शराब बनाने और बेचने में सबसे आगे हैं। विगत कई सालों से सुबखार में कम उम्र के लोगों की हुई मौतों में सबसे ज्यादा मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई है। आबकारी विभाग द्वारा कभी-कभी अवैध शराब की जांच कर खानापूर्ति कर दी जाती है।
शासन के नियमानुसार किसी भी शिक्षण संस्थान के 100 मीटर के दायरे में कोई भी मादक पदार्थ की बिक्री करना गैर कानूनी है प्रतिबंधित है परंतु
सूबखार में शिक्षण संस्थानों के नजदीक ही नशे का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी संबंधित विभाग को ना हो।
लोगोंको नशे से मुक्त रखने के लिए सरकार ने नशामुक्ति योजना लागू की है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से लागू की गई इस योजना के तहत राज्य में नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं। गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित इन केंद्रों में नशे से ग्रस्त लोगों को इससे मुक्त करने के लिए निशुल्क इलाज किया जाता है। इतना सब होने के बाद भी सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाया जा रहा नशा मुक्ति अभियान ज्यादातर कागजों पर ही है। हकीकत में उसकी तस्वीर कुछ और ही बयान करती है। विभाग को अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे ।तब ही नशा मुक्त समाज की तस्वीर उभर कर सामने आ सकती है।