भीमसेन ठाकुर की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, बुधवार 23 नवंबर- डिण्डौरी आदिवासी बाहुल्य जिला होने के कारण शासन - प्रशासन द्वारा अनेकों योजनाओं का संचालन पंचायतों के माध्यम से कर राशि स्वीकृत की जा रही है ताकि आदिवासी एवं गरीब परिवारों को रोजगार मिले एवं गांव का विकास हो सके और लोगो को मूलभूत सविधाये मिल सके, पर यहाँ जिम्मेदारों ने कसम खा रखी कि हम गांधी जी के तीन बंदर बन के ही रहेंगे। आज जिले के संबंधित विभाग के आला-अधिकारियों द्वारा पंचायतों के माध्यम से अपनी हिस्सेदारी बसूल कर भ्रष्टाचारीयों को संरक्षण देकर शासन-प्रशासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं मे अवैध रूप से संचालित कर एवं फर्जीवाड़ा - भ्रष्टाचार कराया जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को यह मालूम है कि उनको आज यहां रहना है तो कल कहीं और जिसके चलते जितना जल्दी हो सके साम-दाम-दंड-भेद लगाकर जितना कमा सकें कमा लो।
वहीं महिला सरपंच ने बताया कि उसकी ग्रामपंचायत में हुए कार्य का मूल्यांकन के लिए वह परेशान है। महिला सरपंच की शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कोई सुनवाई नही कर रहे है।
सूत्र बताते है कि शहपुरा जनपद में इस समय भ्रष्टाचार का आलम जोरों पर चल रहा है और जिसका मुख्य कारण आला - अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया जाना है।जनपद पंचायत शहपुरा भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में बना हुआ जहां जनपद पंचायत में पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा भ्रष्ट और भ्रष्टाचारियों को खुला संरक्षण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के मामले आये दिन सामने आ रहे हैं।
वही जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत टिकरिया माल जिसमें अपनी भूमिका निभाई है साथ ही ग्राम पंचायत बिजौरी,पडरिया, बरौदी, दुबा इनका जनपद पंचायत शहपुरा में भ्रष्टाचार के मामले में सबसे पहले नाम आता है।जहां सचिव ठेकेदारी,बगैर बिल-बाऊचर भुगतान, बगैर निर्माण कार्य राशि का आहरण,,निर्माण कार्यों में बंदरबांट शासकीय राशि घोटाला जैसे एक से बढ़कर एक भ्रष्टाचार और घोटाला के मामले हैं जिसमें शिकायतकर्ताओं की सीईओ के सामने कतार बनी हुई है वहीं जिम्मेदार जांच के नाम पर खानापूर्ति कर अपनी तिजोरी भरने में व्यस्त हैं तो जांच अधिकारियों का चोला पहनकर नुमाइंदे अपनी हिस्सेदारी बसूल कर रहे हैं।धीरे-धीरे हिस्सेदारी और संरक्षण इस कदर हावी हो गया है कि भ्रष्टाचार भी अपनी चरम सीमा पार कर चुका है।