राजेश ठाकुर की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 20 सितंबर,आदिवासी बाहुल्य जिले में मुफलिसी की जिंदगी जीने वाले गरीब परिवारों का उपहास उड़ाना जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि सहित जिले को चारागाह बनाए बैठे अधिकारियों का शगल बन गया है जिसकी जीती जागती मिशाल है जनपद पंचायत डिंडोरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत नरिया का एक आदिवासी गरीब परिवार जो मई ,जून ,के महीनों हाथियों के तांडव का शिकार हुए थे और इनकी सारी गृहस्थी उजड़ गई थी जिसके बाद वन परिक्षेत्र शाहपुर के जिम्मेदार अधिकारी ने 5 कि, चावल देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली तब से अबतक उक्त गरीब परिवार भरी बारिश में अपने छः सदस्यों के कुनबे के साथ झोपड़ी में रहने विवश है पर इनकी परेशानियों की सुध लेने वाला ना तो संबंधित वन विभाग है और ना ही राजस्व विभाग पीड़ित महिला ने बताया कि इनके मकान को तीन हाथियों के झुंड ने नेस्तनाबूत कर दिया था साथ ही लगभग एक सप्ताह वन परिक्षेत्र शाहपुर के ग्रामीण अंचलों में इनका आतंक जारी था लेकिन वन विभाग के जिम्मेदारों ने पीड़ित गरीब परिवार को तत्परता के साथ 5 , कि, चावल की मदद कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लिया और फिर कभी पलट कर पीड़ित परिवार की ओर मुड़ कर देखना मुनासिब नहीं समझा यहां गौरतलब है कि अगर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाली किसी भी प्रकार की परिसंपति को जंगल के आस पास रहने वाले गरीब आदिवासी नुकसान पहुंचाए तो यही वन विभाग का अमला उनकी बखिया उधेड़ देता है , लेकिन वन्य जीवों के हमले का शिकार हुए इस गरीब परिवार को आज तक मुआवजे के तौर क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान नहीं की गई जिसके परिणाम स्वरूप उक्त गरीब परिवार को टूटी फूटी झोपड़ी में अपने परिवार के साथ जीवन निर्वहन करने विवश होना पड़ रहा है बहरहाल और आगे भी पीड़ित गरीब परिवार को मुफलिसी की जिंदगी गुजारनी होगी यह समय के गर्भ में है