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ऋण मुक्तेश्वर मंदिर में भोलेनाथ को जल चढ़ाने बड़ी संख्या में पहुचे भक्त,कुत्ते की स्वामिभक्ति की याद में बना मंदिर

भीमसेन ठाकुर की रिपोर्ट
 आई विटनेस न्यूज 24, सोमवार 8 अगस्त, सावन के महीने में हर सोमवार भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिये शिव मंदिर में भक्तों की लाइन लगी रहती है और भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिये भक्ति भावना से लगे रहते है।तो आइए हम लेकर चलते है आपको एक ऐसा मंदिर जँहा मात्र भगवान शिव के दर्शन करने से सारे ऋण से मुक्ति मिल जाती है।
एक रात में कुत्ते की स्वामिभक्ति की याद में बना शिव मंदिर 
डिंडौरी जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर कुकर्रामठ गांव में बना यह शिव मंदिर कलचुरी कालीन दसवीं शताब्दी में बनाये जाने की जानकारी पुरातत्व विभाग द्वारा बताई जा रही है।यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और एक रात में ही बनवाया गया है सुबह हो जाने के कारण मंदिर का गुम्बज आज भी अधूरा पड़ा हुआ है । पुरातत्व विभाग में पदस्थ और मंदिर के पुजारी कुंज बिहारी पांडेय ने बताया कि किवदंती है कि दसवीं शताब्दी से ग्यारवी शताब्दी के बीच कलचुरी काल मे कलचुरी राजा कोकल्य देव के यहां दरबार मे कर्ज से दबा बंजारा आया ,उसने अपने कुत्ते को राजा के पास छोड़कर कर्ज की राशि के लिये कमाने चला गया।एक दिन राजा के घर पर चोरी हो गयी।कुत्ता राजा को चोरी का सामान बरामद करवा दिया ।राजा बहुत प्रसन्न हुये ।उन्होंने कुत्ते को मुक्त कर दिया और गले मे पर्ची टांग दी कि बंजारा भी कर्ज से मुक्त हो गया है।और कुत्ते को मुक्त कर दिया ।कुत्ता महल से बाहर सड़क में घूम रहा था,और उसी समय बंजारा वापस लौटा और देखा कि कुत्ता तो राजा के यहाँ से बाहर आ गया है बंजारा गुस्से से आग बबूला हो गया और कुत्ते को मार डाला ।जब उसने पास में जाकर देखा तो गले मे पर्ची देखकर बड़ा दुःख हुआ।और उसने मन मे कुत्ते की समाधि स्थल  बनवाने की ठान ली।राजा कोकल्य देव ने कुत्ते की समाधि के ऊपर एक विशाल शिव मंदिर बनवाना शुरू कर दिया ।काम रात में शुरू हुआ और सुबह हो गयी ,तब तक मंदिर का निर्माण तो पूरा हो गया लेकिन गुम्बद नही बन पाया।क्योकि राजा का प्रण था कि मंदिर एक रात में ही बनकर तैयार होना चाहिये।तब से इस मंदिर का नाम कुकर्रामठ ऋण मुक्तेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।और श्रद्धालु सावन के महीने में और महा शिवरात्रि के त्यौहार पर दर्शन करने आने लगे।सावन के महीने में बड़ी संख्या में कावड़ में नर्मदा जल लेकर भक्त ऋण से मुक्ति पाने की आस लिये भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर पूजा अर्चना करने आते है।