विद्यालय में शराबीपन का बच्चों पर असर होना लाजिमी
अमित साहू की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24,बुधवार 19 जनवरी 2022,शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बजाग मे आए दिन प्राचार्य अपनी मनमानी के चलते सुर्खियों में है। सर्वविदित है कि कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बजाग में पदस्थ प्राचार्य साहब सिंह मरावी अपनी शराबी लत और शराब पीकर विद्यालय आने के चलते चर्चा में रहते हैं। एक ओर जहां कोरोनावायरस के चलते स्कूल बंद है वहीं दूसरी ओर प्राचार्य साहब सिंह मरावी अपनी आदतों के चलते स्कूल में शराब के नसे मे अपने ऑफिस में आकर बैठते हैं वहीं बच्चों का स्कूल ना आना इनके सही समय पर स्कूल ना आने का फायदा मिल रहा है। इससे साफ देखा जाता है कि स्कूल में पढ़ रहे बच्चों पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा प्राचार्य जब खुद नशे में स्कूल पर आकर बच्चों को अपनी हरकतें दिखाएंगे तो अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों के ऊपर उसका कितना गलत प्रभाव पड़ेगा यह कोई नई बात नहीं इससे पहले भी कई बार खबर के माध्यम से अखबारों पर प्रकाशित की गई लेकिन संबंधित अधिकारियों के द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। प्राचार्य महोदय आए दिन नशे की हालत में स्कूल आते हैं और क्लास में भी चले जाते हैं शराब पीकर क्लास में जाकर बच्चों को किस प्रकार शिक्षा देते होंगे यह तो वहां पर बैठे बच्चों को ही पता होगा।
इनकी मनमानी के चलते बच्चे परेशान हो रहे हैं विद्यालय में देखा जाता है कि बच्चे अपने क्लास में तो बैठे रहते हैं
पर पढ़ाई नही होती, हालांकि अभी तो स्कूल बंद चल रहे है।मगर प्राचार्य और शिक्षकों की लापरवाही के चलते विद्यालय में कोर्स पूरा हो नहीं पाया है वहीं दूसरी ओर कोरोना गाइडलाइन का शिक्षक सीधे तौर पर उलंघन करते देखे जाते हैं। यहां पर बच्चों की तरफ शिक्षको का कोई ध्यान ही नहीं बच्चे खुद के भरोसे जितनी पढ़ाई कर सके करते हैं, जब प्रचार्य को ही टाइम पर स्कूल आए हफ्तो बीत जाते हैं तो शिक्षकों की कौन देखभाल करें। भगवान भरोसे ही चल रहे है स्कूल। कौन शिक्षक आ रहा है कौन नहीं आ रहा इसकी परवाह करने वाला कोई नही है जिसका सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है जिससे बच्चों भविष्य अंधकार में जा रहा है। स्कूल तो सिर्फ नाम का रह गया है वहीं बच्चों की पढ़ाई का सत्र खत्म ही हो रहा है इसी सप्ताह परिबोर्ड परीक्षा शुरू हो रही है और अगले महीने से 10वी और बारहवीं के बच्चों की वार्षिक परीक्षा शुरू होने वाले हैं वहीं दूसरी ओर शिक्षक अपनी मनमर्जी से स्कूल चला रहे हैं कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कैसे भी करके समय काटने का काम कर रहे हैं। विद्यालय का जब प्राचार्य ही नदारद रहे तो अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि शिक्षक भी इसी प्रकार करते होंगे। ऐसा नहीं है कि इस विषय में उच्चाधिकारी को मालूम नही है पर प्राचार्य की इन आदतों के बाद भी उच्चाधिकारी द्वारा उनपर कोई कार्यवाही नहीं करना, शिक्षा और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना ही है।