जिला ब्यूरो की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, शुक्रवार 14 जनवरी 2022,मध्यप्रदेश की प्राचीनतम नदी नर्मदा का जल तेजी से हो रहा जहरीला यदि वक़्त रहते नर्मदा में मिलने वाले नाले-नालियों को नही रोका गया और यही स्थिति रही तो मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कही जाने वाली नर्मदा अगले 10-12 सालों में पूरी तरह जहरीली हो जाएगी।
और इसके आसपास के शहरों-गांवों में बीमारियों का कहर फैल जाएगा।
इसी मद्देनजर कुछ साल पहले 2016/17 में प्रदेश के मुखिया के द्वारा नर्मदा यात्रा निकाली गई। उस वक्त नर्मदा में मिलने वाले नाले-नालियों को रोकने का दम भरा गया। एक्शन प्लान बने, सीवेज ट्रीटमेंट के लिए करोड़ों रुपये का फंड जारी हुआ लेकिन नालों का पानी नर्मदा में मिलने से रोका नहीं जा सका। नर्मदा उदगम के बाद पहला बड़ा शहर डिण्डोरी पड़ता है,
जहाँ से होकर नर्मदा मंडला जबलपुर होते हुए नर्मदा नदी गुजरात को जाती है हम यदि डिण्डोरी की ही बात करे तो नगर पंचायत क्षेत्र (शहर) के लगभग 7 बड़े नाले नर्मदा जी मे खुलते है,जो नगर के अलग अलग क्षेत्र से होते हुए नर्मदा नदी में मिलते है।
और उनका सारा गंदा पानी नर्मदा में समाहित होता है।यदि हम बसस्टैंड स्थित नर्मदा घाट की बात करे तो जो श्रद्धालु नर्मदा जी मे पूजा अर्चना कर नर्मदा जल से आचमन करते है,तो समझ नही आता कि वे श्रद्धालु नर्मदा जल या नाले के पानी से आचमन कर रहे है।नगर पंचायत यदि समय समय पर नालो की सफाई करे तो शायद कुछ कम गंदगी नर्मदा जी मे जाए।
बड़ी ही विडम्बना है, प्रदेश में 4 बार शिवराज की सरकार बन चुकी लेकिन नर्मदा जी में नालों को मिलने से रोका नहीं जा सका।जबकि नर्मदा संरक्षण के लिए प्रदेश के मुखिया ने नर्मदा सेवा यात्रा भी की और नर्मदा संरक्षित करने के बड़े स्तर में प्रयास भी किये गये पर अब भी नर्मदा का मूल अस्तित्व आप के सामने है,
जीवन दायनी कहलाने वाली नर्मदा अब सिर्फ राजनीतिक मुद्दा ही बन कर रह गई है और राजनीति करने वाले भी इसकी कोई सुध नहीं ले रहे है,
देखा जाए तो जिले में दो कद्दावर नेता जो पूर्व में मंत्री के पद पर भी रहे चुके है पर उन्होंने भी इस ओर कोई कदम नही बढ़ाये।नर्मदा संरक्षण और स्वच्छता पर कसीदे पढ़ने वाली बहुत सी हस्तियां अपनी रोटीयॉ तो सेक रहे है,
पर हाथ बढ़ा कर कुछ करगुजने का माज़दा किसी मे नहीं।यही कारण है,कि आम जन का इन हस्तियों जनप्रतिनिधियों से मोह भंग हो चला है।