प्रकृति के नियम अनुसार चलता है"गोंडवाना टाइम जोन" घड़ी की सुइयां उल्टी दिशा में घूमती है। - i witness news live
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प्रकृति के नियम अनुसार चलता है"गोंडवाना टाइम जोन" घड़ी की सुइयां उल्टी दिशा में घूमती है।

आई विटनेस न्यूज 24,आम तौर पर जिन घड़ियों का इस्तेमाल हम करते हैं उनके कांटे बाईं से दाईं(क्लॉक वाइज) ओर घूमते हैं,जिससे लोग समय की जानकारी लेते है। लेकिन हम आपको भारत के एक ऐसी जगह के बारे में बता रहे है जहां पर घड़ी की सुइयां उल्टी दिशा में घूमती है। छत्तीसगढ़ राज्‍य में कोरबा के पास आदिवासी शक्ति पीठ से जुड़े स्‍थान पर एक आदिवासी समुदाय रहता है। जिसे गोंड कहा जाता है

इस समुदाय के लोगों की घडी हमेशा उल्टी दिशा में घूमती हैं। यह कोई नई बात नहीं है। जब से घड़ी का निर्माण हुआ है। तब से ही यहां पर उल्टी चलने वाली घडियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे लेकर समुदाय के लोगों का कहना है कि उनकी घड़ी ही स्‍वाभाविक है जो प्रकृति के नियम अनुसार चलती है। इस आदीवासी जाति ने इसे गोंडवाना टाइम जोन का नाम दिया है।

आस्कर सम्मानित फिल्म ‘द क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन’ में उल्टी घूमती घड़ी भले ही निर्देशक की कल्पना से उपजी हो लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से आदिवासी बड़ी संख्या में उल्टी दिशा में घूमने वाली घड़ियों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

आम तौर पर जिन घड़ियों का इस्तेमाल हम करते हैं उनके कांटे बाईं से दाईं ओर घूमते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा, कोरिया, सरगुजा, बिलासपुर और जशपुर ज़िलों में आदिवासी लंबे समय से उल्टी दिशा में चलने वाली घड़ी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इन घड़ियों के कांटे दाईं से बाईं ओर घूमते हैं।

ये  घड़ियाँ पहली बार कब चलन में आईं, इसका कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं है लेकिन माना जाता है कि 1980 के दशक में पृथक गोंडवाना आंदोलन ने जब जोर पकड़ा, उसी दौरान ये घड़ियां पहली बार आदिवासियों के बीच बांटी गईं.आदिवासियों के बीच काम करने वाले नारायण सिंह राज अपने तर्क को इतिहास की कसौटी पर कसने की कोशिश करते हुए कहते हैं- “सिंधु घाटी की लिपि भी दाईं से बाईं ओर लिखी जाने वाली लिपि है. ऐसे में अगर आदिवासियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली घड़ियों के कांटे दाईं से बाईं ओर घूमते हैं तो इसे एक खास परंपरा से जोड़ कर देखने की जरुरत है. 
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल इलाके में पृथक गोंडवाना राज्य का आंदोलन चलाने वाले गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेता हीरा सिंह मरकाम मानते हैं कि उल्टी दिशा में घूमने वाली घड़ी ही ‘असली भारतीय’ और ‘प्राकृतिक’ घड़ी है.प्रकृति के सारे काम दाईं से बाईं दिशा में होते हैं. ऐसे में बाईं से दाईं दिशा में घूमने वाली घड़ी उल्टी और यूरोप के नकल वाली घड़ी है.

हमारी धरती सूर्य के चारों ओर दाईं से बाईं ओर परिक्रमा करती है. भारत में खेती के लिये चलाये जाने वाले हल-बैल भी जुताई के लिये दाएं से बाएं ही घूमते हैं. सारी लताएं दाईं से बाईं ओर ही घूमती हुई बढ़ती हैं. खेत-खलिहानों की लिपाई-पुताई, अनाजों को पीसने वाली हाथ चक्की, आदिवासी विवाह और मृत्यु के समय लिए जाने वाले फेरे, यह सब कुछ दाएं से बाएं ही होते हैं. ऐसे में दाईं से बाईं दिशा में घूमने वाली घड़ी गलत कैसे होगी?”

Ashish Joshi

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ASHISH JOSHI | आई विटनेस न्यूज़ 24 के संचालक के रूप में, मेरी प्रतिबद्धता हमारे दर्शकों को सटीक, प्रभावशाली और समय पर समाचार प्रदान करने की है। मैं पत्रकारिता की गरिमा को बनाए रखते हुए हर खबर को सच के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूँ। आई विटनेस न्यूज़ 24 में, हमारा लक्ष्य है कि हम समाज को सशक्त और जोड़ने वाली आवाज़ बनें।