आई विटनेस न्यूज 24, सोमवार 5 अप्रैल बाघ के चंगुल से भैसों ने अपने मालिक की जान बचाई। बाघ के हमले से जख्मी लल्लू यादव को बाघ का शिकार होने से जिस तरह बचाया वह पालतू पशुओ की वफादारी का एक नायाब नमूना है । ऐसी हिम्मत तो इंसान भी शायद ही कर पाता।
दरअसल पूरा वाकया बाघों के गढ़ टाईगर रिजर्व नेशनल पार्क बांधवगढ का है। जब जंगल मे दिनभर अपनी भैसों को चराने के बाद पशुपालक लल्लू यादव शाम को मवेशियों को लेकर अपने घर कोठिया गांव लौट रहा था कि अचानक झाडि़यों में छिपा बाघ हमला बोल दिया,मालिक को बाघ के चंगुल में फंसा देख भैसों ने वफादारी दिखाई और अपने जान की परवाह न करते हुए मालिक को बचाने मुकाबले के लिए डटी रही जिससे मजबूरन बाघ को अपना शिकार छोड़कर जाना पड़ा,आहत लल्लू के पास मोबाइल था जिसके जरिये घर और वन विभाग को सूचना दी गई जिसके बाद पीडि़त को अस्पताल में भर्ती कराया गया जंहा उसके जख्मो का इलाज किया जा रहा है ।
घायल लल्लू यादव ने बताया कि मैं इसके पहले भी मवेशी लेकर कोठिया के इस कच्चे मार्ग से आ चुका था। कभी भी बाघ की आहट नहीं मिली। दोपहर करीब 3.30 बजे थे। भैंसों को समीप ही सौसर(वाटर होल) में पानी पिलाकर घर लौट रहा था। तभी अचानक पीछे से बाघिन ने झपट्टा मारा। मैं जमीन में गिर पड़ा। पंजा मुंह के पास गाल व कंधे में लगा था। खून की धार बहने लगी। आंखे खुली तो सामने बाघिन खड़ी थी। दहाड़ते हुए वह गर्दन में पंजा मारकर मुझे मुंह में दबाने का प्रयास कर रही थी। एक पल के लिए लगा मेरी मौत सामने है। तभी मेरी भैंसे तेज अवाज करते हुए बीच में आ गई। 5-6 का समूह बाघिन को घेरने लगी थी। 5-10 मिनट यह घटनाक्रम चला। आखिरकार बाघिन को मुझे छोडकर खाली हाथ जंगल लौटना पड़ा। जैसा कि जंगल में घायल कोठिया निवासी लल्लू यादव पिता रामकिशोर यादव (26) ने बाघिन के साथ घटी यह घटना रेंजर पनपथा पराग सेनानी को बताया। वन विभाग अब युवक को वाहन से मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाकर इलाज करवा रहा है। मुंह में दो जगह टांके लगे। कंधे में भी नाखून से चोट आई है। डॉक्टरों ने जांच कर युवक को खतरे से बाहर बताया। घायल खेती किसानी कर दूध बेचकर अपनी जीविकोपार्जन करता है।
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में यह घटनाक्रम सोमवार को पनपथा कोर रेंज के चुंसरा बीट आरएफ ४४६ का है। लल्लू यादव पिता रामकिशोर यादव (26) निवासी कोठिया पनपथा घर से सुबह भैंस चराने जंगल गया हुआ था। वन विभाग अनुसार कोठिया गांव से लगे पनपथा कोर के जंगल में इस समय एक बाघिन ने भी डेरा डाला है। दोपहर में पानी पिलाकर वह मवेशियों को वापस लेकर लौट रहा था। इसी दौरान झाडियों में छिपी बाघिन ने उस पर हमला बोल दिया। एक पल तो किसान लल्लू ने बाघिन को सामने देख अपनी मौत स्वीकार कर ली थीं। इसी दौरान उसकी 5-6 भैंसों का झुंड बीच में रक्षा कवच बनकर बाघ से अड़ गई। अपने मालिक को नया जीवन प्रदान कर दिया।