भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया होगी तेज, तीन वर्ष पहले मिली थी स्वीकृति
डिंडौरी-आई विटनेस न्यूज 24,साल 2017 के नर्मदा एक्सप्रेस-वे योजना पर फिर काम शुरू हो गया है। नये बजट में इसका प्रविधान हुआ। जिसके बाद नए सिरे से इसके रूट में तकनीकी बदलाव के साथ डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है।
यमुना एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर बनने वाले नर्मदा एक्सप्रेस-वे को कांग्रेस शासन काल में करीब 16 माह तक एक तरीके से भुला दिया गया था, लेकिन अब इसका काम फिर पटरी पर आ सकता है। निर्माण एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इसकी डीपीआर लगभग तैयार है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के साथ इसे फिर कुछ गति भी मिल सकती है। अमरकंटक से अलीराजपुर और गुजरात की सीमा तक यह एक्सप्रेस-वे 1280 किलोमीटर के दायरे में बनना है। इसकी लगात 13000 करोड़ है और इसके लिए केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने हिस्से की एनओसी और स्वीकृति तीन वर्ष पहले ही दे दी है। कोरोना संक्रमण काल में इसके लिए जहाँ आसपास के जिलों से गुजरना है, वहाँ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ होगी।
इस एक्सप्रेस-वे को जहाँ से गुजरना है, वहाँ के लिए मैप के अनुसार मार्किंग की गई है। यह ज्यादातर ऐसी ही सड़कों से लिंक होगा जो पहले से तैयार की जा रही हैं। इस प्रक्रिया से इसकी लागत और समय दोनों ही बचने वाले हैं। एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई सड़क के यातायात घनत्व के अनुसार तय होगी। जैसे अमरकंटक से डिण्डौरी, शहपुरा, निवास होते हुए मण्डला तक अभी डेढ़ लेन सड़क है, तो यहाँ पर आदिवासी क्षेत्र में इसको थ्री लेन में बदला जा सकता है। अभी सड़क सपाट है, हाल ही में बनी है, यातायात का दबाव कम है जिससे इसको ज्यादा चौड़ा नहीं किया जाएगा।
अमरकंटक से शुरू होकर डिण्डौरी, शहपुरा, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, पिपरिया, होशंगाबाद, हरदा, हरसूद, खण्डवा, बड़वानी, अलीराजपुर और फिर वहाँ से गुजरात में प्रवेश कर जाएगा। अलीराजपुर से यह महामार्ग गुजरात में अहमदाबाद पहुँचेगा।